Vindhya News : विंध्य में भी बढ़ी नोटा को चुनने वालों की संख्या
Vindhya News : लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद गुरुवार को आदर्श आचार संहिता समाप्त करने की घोषणा हो गई. देश में सरकार बनाने की कवायद भी चल रही है, ऐसे में 9 जून को नई सरकार के गठन की संभावना है, कुछ जश्न मना रहे हैं तो कुछ अवसाद में है.
इसी बीच देश की जनता का जनादेश कैसा रहा जनता की चाहत क्या रही इस पर भी मंथन जारी है. वही जनता के लिए नोटा का विकल्प रखा गया नोटा मतलब दलीय या निर्दलीय पार्टी इनमें से किसी को भी नहीं चुनना है. लोकतंत्र में सभी को मताधिकार का अधिकार प्राप्त है, लोगों के वोट के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि कितने लोग देश में किस तरह की लोकतांत्रिक व्यवस्था चाहते हैं, कुछ दलीय आधार पर तो कुछ निर्दलीयों में अच्छी सरकार का सपना देखते हैं. अपने वोट के माध्यम से अपना विचार रखते हैं जीतना हारना एक अलग विषय है.
वही अगर विंध्य की बात करें तो यहां की चार लोकसभा सीटों में 33,000 से अधिक मतदाताओं ने नोटा को चुना है, यानी की किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया जिन वोटरों ने नोटा पर अपनी मुहर लगाई उससे अंदाजा यह लगाया जा सकता है की उतने लोगों को वर्तमान लोकतंत्र प्रणाली पर विश्वास नहीं है, इसलिए तो वह पसंद नहीं का विकल्प चुनते हैं.
बता दे की विन्ध्य के चारों लोकसभा सीट में कुल मिलाकर 60 प्रत्याशी मैदान में थे मजे की बात यह रही कि इन सब कैंडिडेट में से 33 कैंडिडेट नोटा से कम वोट पाए , सर्वाधिक 19,361 वोट शहडोल जिले में नोट को मिले हैं, जबकि यहां 10 कैंडिडेट ही मैदान में थे.
इसी तरह रीवा संसदीय क्षेत्र में 14 प्रत्याशी मैदान में थे उनमें से 11 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले, यहां भाजपा कांग्रेस व बसपा को ही नोटा से अधिक वोट मिले. सतना में 19 प्रत्याशी मैदान में थे यहां भी 11 कैंडिडेट को नोटा से कम वोट मिले, इसी तरह सीधी में 17 कैंडिडेट मैदान में थे, जिनमें से 6 को नोटा से कम वोट मिले यहाँ नोटा का आंकड़ा हर चुनाव में बढ़ता जा रहा है.
2019 के लोकसभा चुनाव में विन्ध्य में नोटा को 31,000 वोट मिले थे, जो अब 2024 के चुनाव में बढ़कर 33,000 हो गये. इंदौर में नोटा का बढ़ना तो एक दल विशेष के लोगों द्वारा वोट डालना था लेकिन अन्य लोकसभा क्षेत्र में नोटा का बढना चिंता जनक है. आगे आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की नोटा का उपयोग देश का पढ़ा लिखा वर्ग कर रहा है,जो की साफ तौर पर मौजूदा सरकार को यह जता रहा है कि वर्तमान में लोकतंत्र प्रपंच का स्थान नहीं होना चाहिए. धनबल उपयोग से जो सरकार बनेगी वह जनता के हित में काम नहीं करेगी, सोचने का विषय है कि लगभग 33,000 लोगों ने नोटा को चुना है, यानि देश का पढ़ा लिखा वर्ग किसी भी पार्टी के साथ नहीं है पार्टी की रीती नीतियों से ताल्लुक नहीं रख रहा है.
Author: Vindhya Times
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