MP News: सतना में किसान का बेटा बना DSP, चौथे प्रयास में मिली सफलता
MP News: सतना के रिमारी गांव के किसान के बेटे विवेक सिंह ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में DSP का पद हासिल किया है. वहीं, रैगांव के आशीष पाण्डेय, जो एक सिक्योरिटी गार्ड के बेटे हैं, ट्रेजरी ऑफिसर बने हैं. दोनों ने अपनी कड़ी मेहनत से यह सफलता प्राप्त की.
संघर्ष के बाद बड़ी कामयाबी
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा-2024 में सतना ज़िले के दो युवाओं ने सफलता हासिल कर अपने परिवारों और इलाके का नाम रोशन किया है.इनमें से एक हैं विवेक सिंह, जो डीएसपी बने हैं, और दूसरे आशीष पाण्डेय, जिन्हें ट्रेजरी ऑफिसर का पद मिला है. दोनों की कहानियाँ दिखाती हैं कि कठिन मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
विवेक की मेहनत और पढ़ाई
विवेक की प्रारंभिक शिक्षा रिमारी के सरकारी स्कूल में की थी . उन्होंने शासकीय व्यंकट-1 से हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर किया. चार प्रयासों के बाद उन्हें यह सफलता मिली पहले प्रयास में असफल रहने के बाद दूसरे व तीसरे में प्रीलिम पास हुए और चौथे प्रयास में फाइनल सफलता हासिल की .विवेक ने कभी कोचिंग नहीं किया,वे रोजाना 7–8 घंटे स्व-अध्ययन करते थे, इंदौर की टेस्ट सीरीज़ और ऑनलाइन मॉक से इंटरव्यू की तैयारी की. उन्होंने लेखन कौशल पर काम किया और पिछले सालों के प्रश्न-पत्रों को समझकर रणनीति बनाई. उनका अगला लक्ष्य IAS बनना है.
आशीष का संघर्ष और पारिवारिक पृष्ठभूमि
इटौरा निवाशी आशीष पांडेय के पिता उमेश पांडेय लंबे समय तक गुजरात में सुरक्षा गार्ड रहे और 2023 में रिटायर होने के बाद भी सुरक्षा का काम कर रहे हैं. आशीष ने सरस्वती शिशु मंदिर से प्रारंभिक शिक्षा की और जवाहर नवोदय विद्यालय रहिकवारा से मिडल व हाई स्कूल और व्यंकट क्रमांक1 तथा डिग्री कॉलेज, सतना से उच्च शिक्षा पूरी की. आशीष ने सेल्फ-स्टडी के साथ इंदौर में एक साल कोचिंग भी ली. यह उनका तीसरा प्रयास था, 2022 व 2023 में वे आयोग की प्रक्रिया में रहे. वे उम्मीद करते हैं, कि पुराने परिणामों के आधिकारिक प्रभाव से उन्हें और रैंक भी मिल सकती है.
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प्रेरणादायक सफलता
दोनों उम्मीदवारों की कहानियाँ साधारण पृष्ठभूमि से होने के बाद भी कड़े संघर्ष के बाद बड़ी सफलता पाने की मिसाल कायम की हैं .कम संसाधनों , सीमित समय, आर्थिक साधन या कोचिंग के बीच भी उन्होंने रोज़ाना एक निर्धारित रूटीन अपनाया और नियमित अभ्यास को अपनी दिनचर्या बना लिया. सीमित साधनों के बावजूद व्यवस्थित रणनीति और लगातार मेहनत से बड़ी सफलताएँ हासिल की जा सकती हैं.
Author: Vindhya Times
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