MP News : एमपी के किसान ने देसी फार्मूला से कर दिया कमाल
MP News : मध्य प्रदेश के कई किसान खेती में नई-नई तकनीकों का उपयोग कर बेहतर फसल उत्पादन कर रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण गुना जिले के एक किसान का है, जिस किसान ने अपनी देसी तकनीक से सिर्फ एक बीघा जमीन में लहसुन की शानदार पैदावार हासिल की है, चलिए अब उनकी इस अनोखी विधि को विस्तार से जानते हैं।
देसी तकनीक से दोगुना हुई पैदावार
मध्य प्रदेश के गुना जिले के अजरोड़ा गांव के किसान जितेंद्र नागर ने लहसुन की खेती में एक ऐसी कमाल की देसी तकनीक अपनाई है, इस तकनीक ने न सिर्फ उनकी पैदावार को ढाई गुना तक बढ़ा दिया है, बल्कि वे पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।पहले एक बीघा जमीन से जहां सिर्फ 8 से 9 क्विंटल लहसुन पैदा होता था, अब नागर की विशेष तकनीक से यह उत्पादन बढ़कर 18 से 20 क्विंटल तक पहुंच गया है।
दशकों का अनुभव, तीन साल में चमका जादू
जितेंद्र नागर पिछले एक दशक से लहसुन की खेती कर रहे हैं। लेकिन, तीन साल पहले उन्होंने कुछ देसी तरीके अपनाने का फैसला किया और यहीं से बदलाव की शुरुआत हुई। उन्होंने खेत की गहरी जुताई पांच महीने पहले से शुरू कर दी और खुद तैयार किए गए खाद और बीज का इस्तेमाल किया। सिंचाई पर भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया, एक फसल में सात से आठ बार पानी दिया। इन प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि उनका उत्पादन आसमान छूने लगा।
अजरोड़ा बना ‘महाकाल लहसुन’ का नया केंद्र
लगभग 1200 की आबादी वाले अजरोड़ा गांव में अब लहसुन की खेती मुख्य व्यवसाय बन गई है। वर्तमान में, गांव के किसान करीब 300 बीघा में लहसुन उगा रहे हैं, जिससे उन्हें प्रति बीघा लगभग एक लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। इस लहसुन ने राजस्थान की छीपाबड़ौद और छबड़ा मंडियों में अपनी पहचान बना ली है और इसे अजरोड़ा का महाकाल लहसुन के नाम से जाना जाता है। इसकी गुणवत्ता इतनी बेहतरीन है कि यह ऊटी और दिल्ली-राजस्थान के सुपर शंकर लहसुन को भी कड़ी टक्कर दे रहा है।
सुरक्षित विकल्प और अनिश्चितता का संतुलन
अजरोड़ा गांव में पहले गेहूं, चना, सरसों और धनिया जैसी पारंपरिक फसलें उगाई जाती थीं, जो अक्सर मौसम की मार झेलती थीं। लेकिन, लहसुन एक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरा है। चूंकि यह जमीन के अंदर उगने वाली फसल है, इसलिए आंधी-तूफान या भारी बारिश से नुकसान का खतरा कम होता है। यही वजह है कि किसान अब तेजी से पारंपरिक फसलों की बजाय लहसुन की ओर जा रहे हैं।
इस फसल में कीमतों में उतार-चढ़ाव एक चुनौती बनी हुई है। पिछले साल जहां लहसुन ₹35,000 प्रति क्विंटल तक बिका था, वहीं इस साल कीमतें ₹6-7 हज़ार तक गिर गई हैं। इसके बावजूद किसान लहसुन को एक साथ बेचने की बजाय उसे स्टोर और प्रोसेस करके साल भर में धीरे-धीरे बेचते हैं, जिससे उनकी आमदनी लगातार बनी रहती है। लहसुन की खेती में सफलता पाने के लिए किसानों को कम से कम पांच साल की लंबी योजना बनाकर काम करना पड़ता है।
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Author: Vindhya Times
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