Rewa News : वन विभाग कार्यालय के सामने ही सूख गए पौधे, फिर भी नए लक्ष्य तय
Rewa News : रीवा में हर वर्ष वर्षाकाल में लाखों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन देखरेख की कमी के चलते अधिकांश पौधे सूख जाते हैं। वन विभाग अपने ही कार्यालय के सामने लगे पौधों को नहीं बचा सका। हालांकि योजनाएं बनी हैं, लेकिन संरक्षण व सिंचाई की लापरवाही के कारण अभियान की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं।
पौधारोपण में लापरवाही उजागर
हर वर्ष वर्षाकाल में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से पौधारोपण अभियान चलाया जाता है। आरक्षित व संरक्षित वनों के साथ ही विद्यालयों, कार्यालय परिसरों और शहर के प्रमुख स्थलों पर पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन यह अभियान सिर्फ शुरुआत में ही सक्रिय नजर आता है, देखरेख की कमी के चलते अधिकतर पौधे कुछ ही महीनों में सूख जाते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि रीवा में वन विभाग अपने ही कार्यालय के सामने लगाए गए पौधों को संरक्षित नहीं रख सका। पिछले वर्ष वन मंडलाधिकारी कार्यालय के सामने सड़क के दोनों ओर पौधे लगाए गए थे, जिनमें से अधिकांश अब सूख चुके हैं और ट्री गार्ड खाली पड़े हैं। यह स्थिति विभागीय गंभीरता पर सवाल खड़े करती है।
इस वर्ष 4.34 लाख पौधों का लक्ष्य
जानकारी के अनुसार, 2025 के वर्षाकाल में जिलेभर में 4 लाख 34 हजार 932 पौधे लगाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन अगर पहले के अनुभवों को देखा जाए तो पौधों की संख्या भले ही अधिक हो, सफलता दर निराशाजनक ही रही है।
ढेकहा व मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो वहां न केवल पौधे गायब हैं, बल्कि ट्री गार्ड भी गायब हो चुके हैं। शुरूआती कुछ सप्ताह वन विभाग का टैंकर पानी देने आता रहा, लेकिन बाद में वह भी आना बंद हो गया।
योजनाएं तो हैं, लेकिन अमल अधूरा
वन विभाग की एनपीवी योजना के तहत लगाए जाने वाले पौधों में 80 फीसदी पौधों का जीवित रहना अनिवार्य है। वहीं ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के अंतर्गत यह आंकड़ा 85 फीसदी है। इस साल इस योजना के अंतर्गत डभौरा में 25,000 पौधे रोपे जाने हैं। कार्ययोजना के तहत 10 वर्षों तक निगरानी व सिंचाई की व्यवस्था की जानी है।
पौधे तैयार तो होते हैं, लेकिन संरक्षण में चूक
वन विभाग द्वारा पौधे रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और शहडोल के सामाजिक वानिकी केंद्रों में तैयार किए जाते हैं। लेकिन जब इन पौधों को ज़मीन पर लगाया जाता है, तो उनकी देखरेख में लापरवाही साफ दिखती है।
जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि पौधों की सफलता भूमि की प्रकृति पर भी निर्भर करती है। लेकिन सवाल उठता है कि जब वन विभाग कार्यालय के सामने की भूमि एक जैसी है, तो कुछ पौधे ही क्यों बचे और बाकी क्यों सूख गए?
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Author: Vindhya Times
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