MP News : एमपी में स्वास्थ्य विभाग की नई पहल, लेकिन बड़े जिले अब भी सुस्त
MP News : मध्य प्रदेश में अस्पतालों की गुणवत्ता पर NQAS और कायाकल्प मापदंडों के आधार पर हुई जांच में छोटे जिले चमकते नजर आए। वहीं, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल का गृह जिला रीवा सर्टिफिकेशन की दौड़ में पिछड़ गए। लेकिन बड़े जिलों की सुस्ती सवालों में घिरी है।
एमपी में स्वास्थ्य विभाग की नई पहल
मध्य प्रदेश में अस्पतालों की सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) और कायाकल्प मापदंडों के आधार पर सर्टिफिकेशन प्रक्रिया चलाई जा रही है। लेकिन हाल ही में सामने आई एनएचएम (National Health Mission) की रिपोर्ट ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के प्रमुख जिले जैसे इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और यहां तक कि डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का गृह जिला रीवा भी इस सर्टिफिकेशन की दौड़ में पिछड़ गए हैं। वहीं, सीहोर, सिवनी, मंडला और नर्मदापुरम जैसे छोटे जिले स्वास्थ्य मानकों पर बड़ी उपलब्धि दर्ज कर रहे हैं।
ग्रेडिंग में बड़ा अंतर, रीवा और भोपाल पिछड़े
एनएचएम की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल जिले का जिला अस्पताल भले ही NQAS और कायाकल्प दोनों मानकों पर सर्टिफाइड हो, लेकिन उसकी निचली स्वास्थ्य इकाइयों की स्थिति कमजोर है। वहीं, रीवा जिले की हालत और भी चिंताजनक है।
इसके विपरीत, सीहोर और सिवनी जैसे जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) तक को बेहतर ग्रेड मिला है, जो उन्हें अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल बनाता है।
कायाकल्प अवॉर्ड में छोटे जिलों का दबदबा
इस साल कायाकल्प अवॉर्ड में सिवनी और देवास के जिला अस्पतालों ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। वहीं, NQAS मापदंडों में दतिया जिला सबसे आगे रहा। अब तक एमपी की कुल 2742 स्वास्थ्य संस्थाओं को सर्टिफिकेशन प्राप्त हो चुका है, जिनमें 2067 संस्थाएं NQAS के अंतर्गत और 675 संस्थाएं कायाकल्प मानकों के तहत सर्टिफाइड की गई हैं।
इसके बावजूद, इंदौर, ग्वालियर, खरगोन, बड़वानी, डिंडोरी, नीमच और सिंगरौली जैसे जिलों के जिला अस्पताल अभी तक पूरी तरह से सर्टिफिकेशन हासिल नहीं कर सके हैं।
2030 तक सभी संस्थाओं के सर्टिफिकेशन का लक्ष्य
एनएचएम मध्यप्रदेश की प्रबंध निदेशक सलोनी सिडाना ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक प्रदेश की सभी स्वास्थ्य संस्थाएं NQAS और कायाकल्प मानकों पर खरा उतरें। हालांकि प्रमुख जिलों की धीमी प्रगति इस लक्ष्य को लेकर गंभीर चिंताओं को जन्म दे रही है।
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Author: Vindhya Times
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